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‘अभिनव गुप्त का दर्शन विविधता में एकता का परिचायक है’- डॉ मोहन भागवत
‘अभिनव गुप्त के ज्ञान और समाज के प्रति दर्शन पर कहा कि भाव और ज्ञान सापेक्ष नहीं होता, वर्तमान की हमारी संस्कृति इसका विशेष उद्धरण है।’- श्रीश्री रविशंकर