JKSC 07-Oct-2015 |
धर्मशाला, 07 अक्तूबर (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय में जम्मू कश्मीर पर एक
नई अकादमिक पहल के तहत विश्वविद्यालय में 7 से 9 अक्तूबर तक 'जम्मू कश्मीर: एक नव
विमर्श' विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है।
इस संगोष्ठी में जम्मू-कश्मीर अध्ययन केन्द्र की भी सक्रिय सहभागिता है। इसमें लगभग 200
विशेषज्ञों के शामिल होने की उम्मीद है। विशेषज्ञों में न्यायाधीश, पत्रकार, अधिवक्ता, अकादमिक
जगत से संबंधित लोग और सामाजिक कार्यकर्ता शिरकत कर रहे हैं।
संगोष्ठी का प्रारंभ वरिष्ठ पत्रकार जवाहर लाल कौल के बीज भाषण से होगा। समापन सत्र में
जम्मू-कश्मीर अध्ययन केन्द्र के निदेशक अरुण कुमार अपने विचार रखेंगे।
संगोष्ठी के विविध सत्रों में जम्मू-कश्मीर की संवैधानिक स्थिति की पड़ताल तो की ही जाएगी।
इसके अतिरिक्त गुर्जर समुदाय के जनसांख्यिकी और सांस्कृतिक पक्ष पर भी चर्चा होगी। शैव
दर्शन के परमाचार्य अभिनव गुप्त के दार्शनिक अवदान तथा महाराजा हरि सिंह की भूमिका पर
भी विचार-विमर्श किया जाएगा। अभिनव गुप्त की सांस्कृतिक विरासत से अनभिज्ञ आम और
अकादमिक जगत के लिए यह संगोष्ठी अहम साबित होगी।
महाराजा हरि सिंह की भूमिका को भी इतिहास में ठीक ढंग से प्रस्तुत नहीं किया गया है, इसलिए
उनकी वास्तविक भूमिका को सामने लाने के लिहाज से एक सत्र महाराजा हरि सिंह को समर्पित
होगा। गिलगित, बाल्तीस्तान की स्थिति पर भी एक सत्र होगा ताकि पाकिस्तान के षडयंत्रों और
वहां के निवासियों की वास्तविक भावना से परिचय हो सके।
हिन्दुस्थान समाचार/सत्तेंद्र/उज्जवल
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